Sharing an email, forwarded by friends to mark the completion of AAP's two years of honest politics:
आज यह दिवार , परदो की तरह हिलने लगी ,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिये ।
हर सडक पर ,हर गली मे , हर नगर ,हर गांव मे
हाथ लहराते हुए, हर लाश चलनी चाहिये ।
सिर्फ हंगामा खडा करना मेरा मकसद नही ,
सारी कोशिश है कि ये सुरत बदलनी चाहिये ।
मेरे सीने मे नही तो तेरे सीने में सही ,
हो कही भी आग ,लेकिन आग जलनी चाहिये ।
-दुष्यंत कुमार
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