Saturday, August 16, 2014

story from Arvind Kejriwal's early days

A note by Manish Sisodiya-
अधिकारी बनाने के बाद जब
उसकी पहली पोस्टिंग हुई तो उसके जन्म
दिन पर लोग बड़े बड़े तोहफे लेकर आए.
अभी तक उसने अपना जन्म दिन
नहीं मनाया था लेकिन मना करने पर
भी कई लोग जोर देकर तोहफे देकर चले गए ।
उसे पता था कि ये तोहफे उसे
नहीं बल्कि उसकी कुर्सी को दिए जा रहे
थे, जन्म दिन के बहाने भ्रष्टाचार सामने
खड़ा था ।
जबरन मिले तोहफों को उसने खोला और
अपनी हमसफ़र के साथ दिल्ली के फुटपाथ
पर उनकी सेल लगाकर बैठ गया.
(तब उसे शायद ही कोई पहचानता होगा)
सारे तोहफे एक शाम में ही बेच दिए गए,
बिक्री से मिले पैसों को उसने एक
चेरिटी संस्था को दान कर दिया.....
यह नौजवान आज भ्रष्टाचार के खिलाफ
हो रही जंग में सेनापति बनकर देश के
लाखों नौजवानों को प्रेरणा दे रहा है !
अरविन्द ने जब यह घटना सुनाई तो समझ में
आया कि
"काजल की कोठरी में से भी बिना दाग
बाहर निकलने का मनोबल
ही किसी को अरविंद केजरीवाल
बनाता है"

हैप्पी बर्थ डे सर..!

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